अध्यात्मिक विचार वाले व्यक्ति को लोग बूढ़ा बोलते हैँ। लोग सोचते हैँ जो
लुभावनी और मजेदार बात कर रहा है, जो अनेक प्रकार के ड्रेस सेँस प्रयोग कर
रहा है फिल्म के विषय मेँ चर्चाएँ कर रहा है और जो आकर्षक दिख रहा है, वह
युवा है। कई व्यक्ति तो उन लोगोँ को युवा बोलते हैँ जो नई उम्र मेँ शराब
सिगरेट पीने लगते हैँ। परन्तु सच्चाई इससे कोसोँ दूर है। आज कल जिन लोगोँ
को आप युवा समझते हैँ वह असल मेँ बुढ़े हैँ क्योँकि वे केवल अपने लिये ही
सोँच रहेँ है। जिस प्रकार बुढ़ा व्यक्ति अपने शरीर को तनिक भी कष्ट नहीँ
देना चाहता और अपेक्षा करता है कि दूसरे भी उनको सुख प्रदान करेँ। ठीक वही
स्थिति एसे व्यक्तियोँ की होती है जो केवल अपने लिये सोच कर अपने आपको युवा
दिखाना चाह रहेँ हैँ वे किसी भी तरह का कष्ट बर्दाश नहीँ कर पाते। छोटी
बात पर इतना कष्ट महसूस करते हैँ जैसे लगता है कि अब इससे बड़ा दुख कुछ नहीँ
कभी कभी तो एसा भी होता है की अत्महत्या के लिये भी तैयार हो जाते है। ठीक
उसी तरह जैसे बूढ़ा व्यक्ति कह रहा हो की भगवान उठा लो अब दुख नहीँ सहा
जाता।
वहीँ अध्यात्मिक विचारोँ के व्यक्ति के अन्दर हर तरह की परिस्थिति को झेलने की क्षमता होती है। क्योँकि उसमेँ संतोष करने की कला होती है। अतः वह युवा की भाँति प्रत्येक परिस्थिति मेँ डटा रहता हैँ उसमेँ कुछ करने की असीम शक्ति होती है। क्योकि वह अनेक प्रकार के विचरोँ एवं ईश्वरीय ग्यान से सम्पन्न रहता है। और विकट परिस्थिति मेँ भी विचलित नहीँ होता। उसके अन्दर समाज को परिवर्तित करने की असीम ऊर्जा एवं ग्यान होता है। अतः अध्यात्मिक व्यक्ति युवा है। भले वह शरीर से बूढ़ा हो।
वहीँ अध्यात्मिक विचारोँ के व्यक्ति के अन्दर हर तरह की परिस्थिति को झेलने की क्षमता होती है। क्योँकि उसमेँ संतोष करने की कला होती है। अतः वह युवा की भाँति प्रत्येक परिस्थिति मेँ डटा रहता हैँ उसमेँ कुछ करने की असीम शक्ति होती है। क्योकि वह अनेक प्रकार के विचरोँ एवं ईश्वरीय ग्यान से सम्पन्न रहता है। और विकट परिस्थिति मेँ भी विचलित नहीँ होता। उसके अन्दर समाज को परिवर्तित करने की असीम ऊर्जा एवं ग्यान होता है। अतः अध्यात्मिक व्यक्ति युवा है। भले वह शरीर से बूढ़ा हो।
No comments:
Post a Comment