काल यात्रा एक कल्पना या हकीकत :

काल यात्रा  एक कल्पना या हकीकत :
ब्रम्हांड  में स्थित हमारी धरती जो अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य की परिक्रमा करती है.जिसके कारन दिन रात और मौसम बदलते हैं | हर एक कार्य को होने में एक निश्चित समय लगता है | जिससे ये पृथ्वी निरंतर परिवर्तित होती रहती है. मानव की सोंच आज बहुत तेजी से परिवर्तित होती जा रही है. वो वक़्त को अपनी मुठी में करना चाहता है | क्या मनुष्य ऐसा कर पायेगा?मनुष्य काल यात्रा करना चाहता है यानि समय से तेज चलना चाहता है |विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है एक से एक सुपर फास्ट वहां बना लिए हैं | पर क्या विज्ञान की सहायता दे कोई ऐसा वहां बन पायेगा जो जो समय से तेज़ चल सके? ये विचार शायद आम आदमी की सोंच से परे है पर एक बार सोंच कर देखिये की यदि कोई ऐसी मशीन बन जाती है जो यात्रा करने में समय ही न लगाए और समय को पीछे छोड़ दे | तो आप क्या महसूस करेगे ? ऐसी तेज़ रफ़्तार से चलने पर क्या होगा ? आखिर हम कहा पहुच जायेंगे ? शायद सोंचना असंभव सा लगे पर अगर आप सोंच रहे हैं तो यह  निश्चित रूप से समय यात्रा कहा जायेगा | यानी "काल यात्रा"
               तिमे मशीन और काल यात्रा को लेकर काफी फिल्मे और धारावाहिक बने पे मई इस के विषय में सन १९९८ से सोचने लगा था | और बहुत सोचने के बाद मैं जिस तर्क पर पंहुचा हूँ. | उसके विषस्य में तर्क वितर्क कर लेना आवश्यक है | तो आइये इस विषय में तर्क वितर्क करते हैं |
            सर्व प्रथम तो हम बात करते हैं तेज़ चलने वाले वाहनों की जो हमारे समय की बचत करते हैं | जो काम १ घंटे का है वो १० मिनट में ho जाता है | पर इन मशीनों वाहनों को भी कार्य करने में कुछ न कुछ  समय लगता है |  तो अब सोचिये क्या मनुष्य इतनी तेज़ कोई मशीन बना पायेगा जिसको कार्य करने में समय ही न लगे |शायद सोचना असंभव सा है क्योकि समय का एक छोटे से भी छोटे भाग में भी कुछ समय छिपा है , उस सूक्ष्म से भी सूक्ष्म समय से तेज़ चल पाना असंभव सा है पर हाँ उस सूक्ष्म से भी सूक्ष्म समय की तरेह  चलना यानि समय की रफ़्तार के बराबर चलना शायद ही कुछ संभव हो पर ऐसी मशीन या वाहन को chalane के लिए बहुत अधिक उर्जा चाहिए और अगर समय के बराबर चलने वाला वाहन बन जाता ही तो भी हम समय से तेज़ नहीं समय के बराबर चल रहे होगे और उस रफ़्तार से चलने पर पृथ्वी स्थिर या ठहरी हुई नज़र आयेगी  दिन या रात वाही का वहीँ ठहर जाये गा सब कुछ रुका हुआ नज़र आयेगा , यानि ये वो अवस्था है जहा हम जहा हम उस दरवाजे पर खड़े हैं जहा से हम काल यात्रा के लिए तैयार हैं पर पूर्ण रूप से नहीं |  इस अवस्था को ये जानिए की हम किसी कमरे में प्रवेश के लिए दरवाजे के समीप खड़े हो | यहाँ जब हम समय की रफ़्तार से चल रहे हैं तो सब रुका हुआ नज़र आ रहा है | और ज़रा अब आप सोचिये की यदि हमारी रफ़्तार समय से ज़रा भी तेज़ हो जाती है ; तो हम समय को पीछे छोड़ते हुए काल यात्रा करेगे | और अगर मनुष्य वो गति पा भी जाता है तो वाहन किस दिशा में चलाया जायेगा ?क्योकि अगर हम समय के बराबर चल रहे हैं तो सभी वस्तुए और सृष्टि रुकी हुई नज़र आयेगी  और यदि समय से तेज़ चलते हैं तो हर वास्तु पीछे जाती हुई दिखाई देगी  अर्थात इतिहास की ओर पास्ट की ओर| तो अगर हम ये धरना रखते हैं की समय से तेज़ चल कर भूत भविष्य की यात्रा की जा सकती है तो मेरे मन में एक प्रश्न ये उठता है की यदि हम समय से तेज़ चल रहे हैं तो समय सदेव पीछे जाता दिखाई देगा यानि पास्ट की ओर तो हम समय से तेज़ चल कर भविष्य में यात्रा कैसे करेगे ?
                      पर  एक  तरीका शायद हो सकता है पृथ्वी के बहार निकल कर एक ऐसा  विमान बनाया जाये  जो पृथ्वी के चारो तरफ भूमध्य रेखा के समान्तर पृथ्वी के विपरीत दिशा में समय से तेज़ घुमे | जब ये इस दिशा में घूमना शुरू करेगा तो धीरे धीरे तेज़ होता जायेगा और फिर ये समय की रफ़्तार के बराबर घुमने लगेगा और तब उस विमान में बैठे यात्रियों को  समय रुका हुआ नज़र आयेगा | आप कल्पना यदि कर सकते हैं तो कल्पना कीजिये की जब वो विमान समय से तेज़ होगा तब पृथ्वी भविष्य  की ओर जाती दिखाई देगी यनी अपनी मूल स्थिति से आगे जहा  कुछ देर बाद उसे  घूमते हुए पहुचना  है . इस वक़्त विमान के बहार जो पृथ्वी पर हैं उनके लिए तो विमान इस अवस्था में अदृश्य हो चूका होगा और वो future में पहुच चूका होगा.  और जब वो विमान वापस पृथ्वी पर लौटेगा तब सब कुछ बदल चूका होगा. आप भविष्य में होगे |

             स्टीफेन हवकिन्स कहते हैं की एक ऐसा विमान तैयार किया जाये जो प्रकाश की गति से चले जिसे अन्तरिक्ष में छोड़ा जाये पहले तो वो धीरे धीरे चलेगा फिर वो और तेज़ होगा कुछ समय में वो नेपच्यून को पार कर जायेगा और ४ साल में ये प्रकाश की ५०% रफ़्तार प़ा लेगा फिर ६ साल में इसकी रफ़्तार प्रकाश की गति के लगभग पहुच जाये गी फिर इसकी रफ़्तार ९९.९% पहुच जाएगी | भौतकीय नियम के अनुसार प्रकाश की गति से चलने पर समय धीरे बीतता है | तो इस लिए इसमें बैठे यात्रियों का समय धीरे बीतेगा जब विमान में बैठे यात्रियों का १ दिन होगा तब पृथ्वी पर १ वर्ष बीत चूका होगा इस तरेह जब वो ५ दिन बाद दोबारा पृथ्वी पर लौटेगा तो यहाँ ५ वर्ष बीत चुके होगे | इससे बड़ी बात तो यह है की हम इस अनंत अंतरिक्ष को देख पायेगे |