ब्रम्हांड की रचना :

ब्रम्हांड की रचना  :
जब हम ब्रम्हांड के बारे में सोचते हैं तो हमारे मस्तिष्क में सदैव यह विचार आता  है  की इसकी रचना किसने की होगी  क्या  वाकई  में कोई  ईश्वर  है  जिसने  ब्रम्हांड को रचा होगा । शायद ही कोई हो, पर आज की science  तो कुछ और ही कहती है ।
            ब्रम्हांड और अन्तरिक्ष दो अलग अलग चीज़े हैं । अंतरिक्ष वो जहाँ ब्रम्हांड है , और ब्रम्हांड विशाल अनेक आकाश गंगाओं का समूह है|  या यूँ कहे की ब्रम्हांड अंतरिक्ष में स्थित है । पर यहाँ प्रश्न ये उठता है की इस ब्रम्हांड  को रचा किसने इसी बात का उत्तर ढूँढने की कोशिश में मैं कुछ निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ परन्तु अपना विचार रखने से पहले मैं stephin Hawkins  के विचारो को ध्यान में रखना चाहूँगा ।
              stephin Hawkins  बताते हैं । की आखिर ब्रम्हांड की रचना किसने की होगी ? क्या वाकई कोई ईश्वर है जिसने इस ब्रम्हांड को रचा होगा ? उनके अनुसार इस प्रश्न का कोई मतलब नहीं है । ब्रम्हांड ने तो खुद अपने आप को रचा है । पर कैसे ? ब्रम्हांड को रचने के लिए ३ मुख्या चीजों की आवश्यकता मणि जाती है । पहला ऊर्जा दूसरा पदार्थ और तीसरा अन्तरिक्ष पर ये सब आया कहाँ से ? इसका उत्तर ढूँढना मुश्किल है पर हमारे बीच एक ऐसे साइंटिस्ट ने जन्म लिया जो शायद अब तक का सबसे बुद्धिमान सिंटिस्ट था उसका नाम था Albart  Aainstine इन्होने एक सूत्र से बताया की असल में पदार्थ और ऊर्जा एक ही सिक्के के दो पहलु हैं उन्हों ने एक सूत्र दिया E=MC स्क्वायर  जहाँ  E  ऊर्जा और Mc स्क्वायर पदार्थ है । तो अब सिर्फ ब्रम्हांड बनाने के लिए हमें सिर्फ २ चीजों की आवश्यकता है । एक ऊर्जा और दूसरा अंतरिक्ष । जब ऊर्जा ने अपना काम शुरू किया होगा तो तो ब्रम्हांड का निर्माण हुआ होगा । ऊर्जा  का भी दो पहलु होता है एक सकारात्मक ऊर्जा और दूसरा नकारात्मक उर्जा इसे आप कुछ इस तरह समझे की, आप कल्पना करे की एक व्यक्ति जो ज़मीन खोद कर एक पहाड़ बनाना चाहता है । वह व्यक्ति एक तरफ तो पहाड़ बनाने के लिए मिटटी खोद रहा है पर दूसरी तरफ वो एक गड्ढा भी खोद रहा है । इस तरह बना हुआ  पहाड़ सकारात्मक ऊर्जा के रूप में सामने आया और गड्ढा नकारात्मक उर्जा के रूप में सामने आया। ठीक यही अन्तरिक्ष में भी हुआ होगा,  नकारात्मक और सकारात्मक मिल कर शून्य का निर्माण करते हैं। शून्य यानि अंतरिक्ष ( - + = 0 )  और जब इस अंतरिक्ष में ऊर्जा ने काम किया  ब्रम्हंड बना । ब्रम्हांड जो सकारात्मक ऊर्जा  के रूप में हमारे सामने है । पर प्रश्न यह है की, नकारात्मक ऊर्जा गई  कहाँ असल में अन्तरिक्ष नकारात्मक ऊर्जा का विशाल भण्डार है । पर कहाँ ? इस सवाल से पहले हम सकारात्मक ऊर्जा की बात करेंगे । क्योकि हमारे मस्तिष्क में  यह प्रश्न उठता है की आखिर ये ऊर्जा आई कहा से ? क्योकि कोई भी चीज़ अकारण नहीं होती, हार चीज़ का कोई न कोई कारन होता है । क्योंकि अगर आप से कोई पूछे की , नदियों में जल कहाँ से आया तो कहेगे की बादल से फिर बादल कहाँ से आये? तो उत्तर होगा सूर्या के कारण सूर्या की गर्मी से जल वाष्पित होकर बादल बने,  फिर प्रश्न होगा की सूर्या कहा से आया ? तो उत्तर होगा हैड्रोजन और नाइट्रोजन के फयूज़न से।  फिर प्रश्न होगा की ये हाइड्रोजन कहा से आया तो उत्तर होगा बिग बैंग से । 
                   बिग बैंग ! क्या है बिग बैंग ? बिग बैंग वो असाधारण घटना है जिससे इस ब्रम्हांड की रचना हुई अगर हम समय के उस छोर पर जाएँ जहाँ बिग बैंग की घटना घटी थी । तब हम वहां पाएंगे की हमारा ब्रम्हांड बहुत लघु रूप में था अत्यंत सीमित । पर बिग बैंग के होते ही यहाँ निरंतर फैलता चला गया । वैज्ञानिकों का मनना है की बिग बैंग से ही हर चीज़ की शुरुवात हुई । यहाँ तक समय की भी। वैज्ञानिकों का कहना है की बिग बैंग से पहले समय था ही नहीं । बिग बैंग से पहले ब्रम्हांड एक विशाल सघन ब्लैक होल की तरह था । क्योंकि वैज्ञानिक मानते हैं की ब्लैक होल समय को भी अपने अन्दर खीच लेता है । इस लिए ब्रम्हांड के शुरुआत में समय था ही नहीं और जब बिग बैंग की घटना घटी तभी ब्रम्हांड की उत्पत्ति हुई । स्टीफेंस हव्किंस कहते हैं की मई किसी की भावना हो ठेस नहीं पहुचाना चाहता पर विज्ञान के द्वारा जो पता लगाया गया है , उससे तो यही लगता है की ब्रम्हांड ने खुद अपने आप को रचा है। क्योंकि जब समय ही नहीं था तो ईश्वर इस ब्रम्हांड को कैसे रचता?  क्योंकि ईश्वर के पास तो ब्रम्हांड को रचने का समय ही नहीं था । तो वो ब्रम्हांड कैसे रचता ब्रम्हांड ने खुद स्वयं को रचा होगा ।
                     परन्तु मैं इस विचार से थोडा असहमत हूँ क्योंकि यहाँ फिर यही प्रश्न उठता है की कोई छेज़ अकारण नहीं घटती । आखिर बिग बैंग के लिए ऊर्जा आई कहा से ? आखिर किसी ने तो इसकी सर्व प्रथम शुरुआत की होगी । मैं एक और बात से असहमत हूँ की बिग बैंग से पहले समय नहीं था । मैं समय को अन्तरिक्ष के समतुल्य मानता हूँ समय भी अन्तरिक्ष की भांति अनंत ही होगा । और रही बिग बैंग के समय के उस सघन ब्लैक होल की बात तो मैं यही कहूँगा की ब्लैक होल समय और अन्तरिक्ष का अंतिम बिंदु है । जहा समय और अन्तरिक्ष का अस्तित्व समाप्त हो जाता है । मैं एक सूत्र लिखना चाहूँगा (T=0) यहाँ (T) समय को दर्शा रहा है और (0) शुन्य अन्तरिक्ष को दर्शा रहा है । इससे अलग जो कुछ भी है वो ब्लैक  होल है। जहाँ समय और अन्तरिक्ष का कोई अस्तित्व नहीं मैं इसे एक उदाहरण से समझाना चाहूँगा । एक ऐसा बर्तन लें जो छिछला और  बीच से उभरा हो और उस उभरी हुई जगह पर एक छेद हो । कहने का तात्पर्य है की बर्तन की ढलान बहार की तरफ हो ।जिससे उसमे पानी भरने पर छेद से न गिरे । अब बर्तन में पानी भर कर उस पानी में लाल रंग मिला दीजिये । अब हम उस छेद को ब्लैक होल, और पानी को अन्तरिक्ष, और लाल रंग को समय मान ले, तो हम देखेगे की , लाल रंग छेद के पास हल्का है,  और छेद से दूर गाढ़ा है , इसी तरह पानी छेद के पास कम गहरा और छेद से दूर गहरा है। ठीक यही ब्लैक होल के पास होता होगा । समय ब्लैक होल के पास कम और उसके अन्दर अस्तित्व हीन होता है । और अन्तरिक्ष भी उसमे अस्तित्व हीन हो जाता है । इसे आप दूसरे उदाहरण से भी समझ सकते हैं । कल्पना कीजिये की आप समुद्र से घिरे एक टापू पर खड़े हैं । आप टापू को ब्लैक होल और समुद्र को अन्तरिक्ष माने तो हम देखेगे की जैसे जैसे हम पानी की उर आगे बढ़ेगे वैसे वैसे पानी गहरा होता जायेगा। समुद्र के पानी का रंग भी गाढ़ा होता जायेगा। इसी तरह ब्लैक होल के पास भी होता होगा, की उसके आस पास समय का प्रभाव कम और उसके अन्दर समय अस्तित्वहीन हो जाता है । और समय के साथ साथ अन्तरिक्ष भी अस्तित्व हीन हो जाता है ।
            जब ब्रम्हांड की शुरुआती घटना घटी होगी तब भी समय होगा । बस बिग बैंग के समय के उस सघन ब्लैक होल के अन्दर समय का अस्तित्व नहीं था । और उसके आस पास समय का प्रभाव कम था । ब्लैक होल ही वो नकारात्मक ऊर्जा है जो बिग बैंग के समय उत्पन्न हुई थी । सकारात्मक ऊर्जा के रूप में ब्रम्हांड, और नकारात्मक ऊर्जा के रूप में ब्लैक होल हमारे सामने आया। यह ब्लैक होल वह नकारात्मक ऊर्जा है जहाँ अन्तरिक्ष और समय का अंत हो जाता है । अर्थात जितना बड़ा अन्तरिक्ष है उतना बड़ा समय है । जहा यह दोनों नहीं हैं वहां ब्लैक होल है । (T=0) जहाँ (T) समय और (0) अन्तरिक्ष है ।या यूँ कहें की अन्तरिक्ष की यात्रा करने के लिए (0) समय होना चाहिए । या कहें की इस अन्तरिक्ष में ही सम्पूर्ण समय विद्यमान है । और जहा दोनों नहीं हैं वहां ब्लैक होल है
                  हो सकता है की ब्रम्हांड के शुरुआत में एक अकेला बिग बैंग हुआ हो जिसने तमाम आकाश गंगाओं की रचना की होगी । परन्तु मैं समझता हूँ की अन्तरिक्ष में एक बिग बैंग की घटना नहीं बल्कि कई बिग बैंग जैसी घटना घटी होंगी, जिसका कारण है दूर दूर अलग अलग आकाश गंगाओं का पाया जाना। कहने का तात्पर्य है की इस अन्तरिक्ष में हर आकाश गंगा के मध्य एक ब्लैक होल है । जिसमे तारे गृह नक्षत्र खीचते चले जा रहे हैं । परन्तु हाल ही के शोध से पता चला है की आकाश गंगाए और नक्षत्र एक दुसरे से दूर होते जा रहे हैं । आकाश गंगाए सिमट नहीं बल्कि फैल rahi है । इसका कारण शायद यही होगा की अभी भी इस ब्लैक होल से विस्पोट हो रहे होंगे और जब विस्पोट की प्रक्रिया ख़तम हो जायेगी तब सारे गृह नक्षत्र पुनः उसमे तेजी से समाते चले जायेंगे । और जब ये तेज़ी से ब्लैक होल में प्रवेश करेंगे, तब अंत में विशाल ऊर्जा उत्पन्न होगी जो सबसे बड़ी उर्जा कही  जा सकती है । क्योंकि जितने भी गृह नक्षत्र होंगे वो तेज़ी से उसमे प्रवेश करेंगे और उनमे घर्षण उत्पन्न होगा और अंत तक ऊर्जा इतनी ज्यादा हो याये गी की पुनः विस्पोट होगा और फिर पुनः  आकाश गंगा का निर्माण होगा । हो सकता है की इन सभी आकाश गंगाओं को लीलने वाला कोई एक बहुत बड़ा ब्लैक होल इस अन्तरिक्ष के मध्य मौजूद हो ।पर यह भी सच हो सकता है की ये छोटे छोटे ब्लैक होल जो सभी  आकाश गंगाओं  के मध्य हैं, और जो इन के लिए बड़े हैं, सही मायने में यही  आकाश गंगाओं की उत्पत्ति का कारण हों । या ऐसा भी हो सकता है की बिग बैंग की घटना परमाणु बम की तरह घटी हो। जहाँ भी परमाणु गिरे होंगे वहां एक ब्लैक होल निर्मित हुआ होगा , और विस्पोट हुआ होगा  जिसका कारन अनेक आकाश गंगाओं का पाया जाना है ।
           तो अब हम  इस बात का जवाब तो पहले ही ढूंढ चुके  हैं की बिग बैंग  से पहले समय था परन्तु ब्रम्हांड की रचना नहीं हुई थी । जब  यह  बिग बैंग की असाधारण घटना  घटी होगी तब ब्रम्हांड अस्तित्व में आया होगा। और इस अन्तरिक्ष में, समय में,  फ़ैल गया होगा । मतलब बिग बैंग से पहले भी समय था पर जो नहीं था वो तीन आयाम नहीं थे । बिना तीनो आयाम के समय की कोई गाड़ना नहीं की जा सकती  थी । अर्थात समय का अपार भण्डार था । और समय आज भी अन्तरिक्ष में अपार असीम अंतहीन है । जिसकी गाड़ना कर पाना असंभव है बस आप इतना कह सकते हैं की समय अन्तरिक्ष के समतुल्य  है (T=0) अब आप यहाँ कह सकते हैं की अन्तरिक्ष में समय का अपार भण्डार बिग बैंग के  पहले भी था। और आज भी है।  तो कहा जा सकता है की उस बिग बैंग  के लिए ऊर्जा उत्पन्न करने वाला कोई तो है, जिसे हम इश्वर का नाम देते हैं , निश्चित ही उसी ने ये ऊर्जा सर्वप्रथम उत्पन्न की होगी जिस से बिग बैंग हुआ । क्योंकि उस समय तो अन्तरिक्ष में समय का अपार भण्डार था । और उसने बड़ी फुर्सत से इस खुबसूरत ब्रम्हांड को रचा होगा ।