Monday 10 March 2014

महान पुरुषोँ के उद्देश्य

अतीत मेँ जितने भी महान लोग हुए एवं जितने
भी देवता अवतार लेकर इस धरा पर आये,
उनका उद्देश्य था की उनका अनुसरण करके
मनुष्य धर्म के मार्ग पर चले उनकी शिक्षाओँ
को अपने जीवन मेँ आत्मसात करेँ। परंन्तु
वर्तमान मे यदि किसी भी व्यक्ति को उन
महान पुरुषोँ के जीवन का उदाहरण देकर
समझाने की कोशिश करोगे तो लोग कहते हैँ,
कि "वो फलाना थे मैँ और आप वो नहीँ है,
वो समय चला गया, अब के समय की बात
करो अभी के समय मे कोई एसा है?" ऐसे
वाक्योँ को कहकर वे अपने मन मेँ छुपे
दुर्व्यवहारोँ को तीव्रता प्रदान करते हैँ। और
मन को अच्छा लगने वाले गलत
कार्यो को ही करते हैँ। वे उन महापुरुषोँ के
जीवन को व्यर्थ साबित करते हैँ, अवतार लेने
वाले देवताओँ की पूजा तो करते है परंतु
दूसरी तरफ उनके जीवन चरित्र को ही व्यर्थ
बताते हैँ ऐसे लोगोँ के लिये उन महान पुरुषोँ ने
व्यर्थ ही जन्म लिया था। कर्म काण्डी बनकर
सभी ने पूजा तो कर ली परंतु जो शिक्षायेँ हैँ
उनको कौन सीखेगा, ये तो वही बात हुई जिस
थाली मे खाया उसी मेँ छेद कर दिया।
जीवन तो तुम्हारा तब सफल है जब तुम अतीत मेँ
जन्मे महापुरुषोँ के शिक्षाओँ के विशाल समुद्र से
एक बूँद भी ग्रहण कर पाओ। अन्यथा जीवन
बेकार है। स्वामी विवेकानन्द, श्री कृष्ण,
महात्मा बुद्ध, एवं अनेको हैँ जिनसे तुम सीख
सकते हो पर तुम उनको पढ़ो तो, पर
उनको टालो नहीँ। तुम उन्हे ग्रहण कर सकते
हो और वैसे बन सकते हो बस आत्मविश्वास
तो लाओ।

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